चढ़ जा धनुष की प्रत्यंचा पर,
बन के खुद एक बाण.
लगा ले लक्ष्य तू अपनी आँख से,
कर दे न्योछावर अपने प्राण।
भेदेगा उस लक्ष्य को अपने आप से,
न लेगा किसी की तू सहाय।
कहलाएगा तू वीर इस धरती का,
कर दिखाने का कुछ, देगा तू औरो को उपाय।
- Krishnakant Joshi